||हमारा प्यार||
कभी धूप कभी छांव सा है
कभी रूठना कभी मनाने जैसा।
कभी में बोलूं कभी वो बोले
हल्की बारिश में बैठ,
चाय की चुस्की सा।
कभी ओस की बूंद सा है
कभी तपते सूरज सा है।
कभी गरजते बादलों सा
कभी बरसती बरसात सा है।
कभी लडना- झगडना
कभी जल बिन मीन सा है।
कभी नशे की लत सा है
कभी नशा मुक्ति केन्द्र सा।
कभी ना खत्म होने वाला,ऐहसास है तू
इसलिऐ कहती हूं, सबसे खास है तू।
गीता बिष्ट
देहरादून