जब भारतीय संस्कृति व परम्परा की हुई सरला बहन

||जब भारतीय संस्कृति व परम्परा की हुई सरला बहन||

 

आज गांधीजी की प्रिय शिष्या सरला बहन जी का जन्मदिन है। जिन्होंने पूरे जीवन भर भारतीयों की सेवा की और बिना किसी कामना के अपना जीवन इन गिरी पर्वतों की बेटियों को समर्पित कर दिया। उन्होंने संरक्षण और विनाश जैसी पुस्तक हिंदी में लिखकर मरती धरती की चिंता को अस्सी के दशक में ही जाहिर कर दिया था। बहन जी के शिष्यों ने भारत की अपूर्व सेवा की और आज भी उनकी तैयार की गयी कार्यकर्ता बेटियाँ देश दुनिया को शांति अहिंसा प्रकृति संरक्षण महिला सशक्तिकरण का संदेश दे रही हैं।

 

धरम घर और कौसानी के संस्थान उनके साधना स्थल रहे हैं। उन्होंने कभी अपने कार्य के बदले में कोई चाहना नहीं की क्योंकि गाँधी परिवार की इस तपस्विनी के मन में तब पीड़ित पददलित भारतियों और बाद में पर्वतीय अंचल की बेटियों को लेकर अत्यधिक पीड़ा थी। उनकी मृत्यु कौसानी में हुई जहाँ शुद्ध वैष्णव तरीके से उनकी बेटियों ने उनको अंतिम विदाई दी। वे आज जन्मी। उनके कार्य बहुत बड़े प्रेरक थे। आज दुनिया को गांधीजी के विचारों की बहुत जरूरत है।

 

मनुष्य ने अपने लालच में धरती के सभी संसाधनों को नोच खसोट दिया है। खुद को श्रेष्ठ बनाने की हवस में एक हत्यारी प्रजाति में बदल दिया है। प्रकृति मानव के कु कृत्यों से अत्यधिक क्रोधित होकर अपने संरक्षण के लिए मानव नाशी कोविड19 जैसे वायरस पैदा कर रही है। ये समय सरला बहन जी को स्मरण करने और उनके विचारों को समझने का है। उनके परिवार की बरिष्ठ बेटी पूज्य राधा बहन भट्ट जी अभी भी कौसानी में हैं। जिनकी प्रखर वाणी ने तमाम भारत के आलावा यूरोप तक के देशों में गाँधी बिनोबा जे पी के संदेश दिए हैं।

 

जब दुनिया को शांति अहिंसा और सत्य की खोज करनी होगी तब समझदार लोग गाँधीजनों की तलाश करेंगे।

यदि इस बार बच गये किसी तरह तो अपने हिस्से की धरती की सेवा जरूर करना। यही कुछ संदेश है। आज के सन्दर्भ में। उम्मीद है जब भीड़ अपना रास्ता एक तरफ तलाशती चल रही होगी। आप कुछ परिजन अपने दिये को असली अँधेरे को खत्म करने की दिशा में बिना वैर और बिना चाहत के लेकर चलेंगे। आज गाँधी जनों को प्रवाह के विरुद्ध चलने की चुनौती स्वीकार करनी चाहिए। यकीनन ये पूज्या सरला बहन जी को सच्ची श्रद्धाँजली होगी।