आजकल दान कर रहा है


आजकल दान कर रहा है



आजकल हर कोई दान कर रहा है,
पुुण्य का यह काम खुले आम कर रहा है।
कहीं पीछे ना रह जाएं इस भीड़ में,
अपनी महानता का गुणगान कर रहा है।
कोई सेवा में है, कोई लंगर लगवाए,
राशन की थैलियों को, घर-घर बंटवाए।
काम ये लेकिन उजागर हो सभी के सामने,
खींच कर फोटो, अपना सम्मान कर रहा है।
कहीं पीछे ना रह जाएं इस भीड़ में,
अपनी महानता का गुणगान कर रहा है।
 ना ईश्वर से भय खाए,
कितना निर्लज्ज हुआ हाय।
कभी व्हाटसप, कभी फेसबुक पे,
अपना स्टेटस दिखलाए।
लाइक कमेंट हुए प्रसन्नतासूचक,
बड़ा ही ग़ज़ब ये काम कर रहा है।
कहीं पीछे ना रह जाएं इस भीड़ में,
अपनी महानता का गुणगान कर रहा है
यार सुदामा सरीखे भी, उनके
हालात, जज्बात से वाकिफ़ भी।
दिखावे के रंग से कह डाला
याद कर लेना मुझे बेवक्त भी।
बड़ा खुद्दार था साथी ,बस
अपने पराये को पहचान रहा है।
दुख की पोटली सिर पर धरी है,
नहीं किसी से मांग रहा है।
आजकल हर कोई दान कर रहा है,
पुुण्य का यह काम खुले आम कर रहा है।
कहीं पीछे ना रह जाएं इस भीड़ में,
अपनी महानता का गुणगान कर रहा है।



नोट-यह कविता काॅपीराइट के अंतर्गत आती है, कृपया प्रकाशन से पूर्व लेखिका की संस्तुति आवश्यक है।