त्रिवेंद्र सरकार हर मोर्चे पर फेल : रघुवीर बिष्ट

||त्रिवेंद्र सरकार हर मोर्चे पर फेल : रघुवीर बिष्ट||


• भाजपा सरकार जन आकांक्षाओं पर खरी नहीं उतरी


•सरकार इंवेंट मैनेजमेंट कंपनी बन कर रह गयी


राज्य स्थापना के 19 साल पूरे होने के बावजूद प्रदेश में आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। जिन आकांक्षाओं और विकास की अवधारणाको लेकर राज्य का गठन किया गया था, वो आकांक्षाएं आज भी अधूरी हैं। कही न कही राजनीतिक इच्छाशक्ति और नेताओं में दरदर्शिता का अभाव भी विकास में बाधक साबित हुआ है. लेकिन विगत पौने तीन वर्ष से प्रदेश एक जगह पर खड़ा है। त्रिवेंद्र सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही है। यह कहना है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रघुवीर सिंह बिष्ट का। उन्होंने कहा कि राज्य स्थापना दिवस सप्ताह के रूप में भी त्रिवेंद्र सरकार घोटालों को अंजाम दे रही है।


वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रघुवीर बिष्ट ने कहा कि जनता ने भाजपा को प्रचंड बहमत देकर सत्ता पर बिठाया लेकिन भाजपा ने जनता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। विगत तीन वर्ष के निवेद्र सरकार की उपलब्धियों में नाकामियां ही नाकामियां नजर आती है। पलायन को लेकर गठित पलायन आयोग सफेद हाथी निकला और पलायन पर अंकुश लगाने में सरकार नाकामयाब रही। शिक्षा की हालत प्रदेश में सबसे बुरी है। सरकारी स्कूल धड़ल्ले से बंद हो रहे हैं। गढ़वाल में पिछले तीन वर्ष में 200 से अधिक स्कूल बंद हो गये हैं। और कई स्कूलों में ताले लगने वाले हैं क्योंकि वहां बच्चे नहीं हैं। लगातार पलायन होने से स्कूल और पहाड़खाली हो रहे हैं।


पहाड़ में शिक्षा और चिकित्सा दोनों का बुरा हाल है। उच्च शिक्षा का आलम यह है कि पिथौरागढ़ और रुद्रप्रयाग के कालेज में शिक्षक और पुस्तक आंदोलन करनापड़ रहा है। स्कूलों की बात अलग है, कालेजों में भी शिक्षक और पुस्तकों का अभाव है। ऐसे में प्रदेश के युवा राष्ट्रीय स्तर पर किस तरह से नौकरी के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे?


प्रदेश में आए दिन गर्भवती महिलाओं के जंगल में या सडक में प्रसव देने की बात सामने आती है। ऐसे में इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी का पूरी योजनाही फेलनजर आती है। पीएचसी और सीएचसी की बात अलग,जिला अस्पताल भी रेफरल सेंटर बने हैं।


भी रेफरल सेंटर बने हैं। श्री बिष्ट के अनुसार त्रिवेंद्र सरकार प्रदेश के युवाओं को रोजगार देने में भी असफल साबित हुई है। प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। दस लाख से भी अधिक युवा बेरोजगार हैं। सरकारी नौकरियों की घोषणा होती है लेकिन भर्ती नहीं होती है। आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में फरवरी माह में काउंसिलिंग हुई लेकिन वहां सलेक्ट हए युवाओं को नियुक्ति पत्र अब तक मिले हैं और उन्हें नियुक्ति पत्र के लिए भी धरना देना पड़ रहा है। सरकार ने इंवेस्टर्स समिट का आयोजन कर सवा लाख करोड रुपये के समझौते होने की बात कही थी, लेकिन निवेशदोहजार करोड़ का भी नहीं हआ, क्योंकि सरकार की नीयत साफ नहीं थी।


भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस की बात करने वाले सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद चाबीज के आरोपी हैं और गुप्ता बंधुओंके औली प्रकरण में उनकी खूब किरकिरी हुई है। इसके बावजूद त्रिवेंद्र सरकार को जनहित की परवाह नहीं है। श्री बिष्ट के अनुसार प्रचंड बहुमत का भाजपा ने सम्मान नहीं किया है। त्रिवेंद्र सरकार को निजी हित में उपयोग कर रहे हैं और यह सरकार हर मोर्चे पर फेल होरही है। पंचायत चुनाव में निर्दलीयों की जीत से यह साबित भी होता है। यदि भाजपा ने जिला पंचायत और ब्लाक प्रमुख चुनाव में धनबल और सत्ता बल का इस्तेमाल नहीं किया होता तो उनके दोजिला अध्यक्ष भी नहीं होते। निर्दलीय सदस्यों की खरीद-फरोख्त से ही भाजपा पंचायत चुनाव में मुंह दिखाने लायक बची है। सच यही है कि जिला पंचायत चुनाव में भाजपा ने जमकर खरीदफरोख्त की है। लेकिन विधानसभा चुनाव में जनता भाजपा को सबक सिखाने का काम करेगी।