||कमलेश्वर महादेव||
कमलेश्वर नामक स्थान का इस क्षेत्र में बड़ा महत्व है लोग शिवरात्री के दिन उक्त स्थान पर व्रत पूजने पंहुचते है श्रद्धालुओं का इतना अटूट विश्वास होता है कि यहां नंगे पांव पंहुचते है जबकि इस स्थान पर जाने के लिए तीन किमी0 पैदल मार्ग है।
यहां पानी के दो धारे है तथा एक कुण्ड भी है जो नकासीदार पत्थरों से बना है। यही कमलेश्वर महादेव मन्दिर है। यहां इतना पानी निकलता है कि जो आगे चलकर कमल नदी के रूप में प्रवाहित होती है। इस पानी से हजारेां एकड़ कृषि भूमी सिंचित होती है यही वजह है कि इस क्षेत्र में धान की फसल भारी मात्रा में होती है। जनश्रुति है कि जब पाण्डव कैलाश को जा रहे थे तो उन्होने कुछ समय कमलेश्वर स्थित में बिताया था।
पाण्डवकालीन सभ्यता का प्रतीक यह स्थान लोगो का विशिष्ठ धार्मिक स्थल है। इस पानी की धारा ने अब तक अपना वेग संतुलित रखा है। यह जल धारा यमुनाघाटी के निवासियों की जीवनरेखा भी है। इसी जल धारा के कारण कमलसिराई व रामा सिंराई पट्टीयों के लोगो की आजीविका सुरक्षित है। यही तो! पलायन नाम की यहां कोई गुंजाईश ही नहीं है। बजाय इस क्षेत्र में बहुतायत में लोग अन्य जगहो से आकर बस गये हैं।