||कपिलदेव का पत्रान्दोलन||
सहस्रबाहु की तपस्थली और यमुना नदी के तट पर बसा एक सुन्दर सा शहर बड़कोट। 1930 में इसी शहर के पास तिलाड़ी नामक स्थान में एक खतरनाक जनसंहार हुआ था। जहां लोगो ने अपने जंगल को बचाने के लिए अपना बलिदान किया था। राजा के क्रूर सैनिको ने यहीं पर निहत्थे लोगो पर गोलियां बरसाई थी। इस जनसंहार में लोगों की जीत हुई, और तत्काल टिहरी के राजा ने भारी जनान्दोलन को देखते हुए खुद के बनायें उस वनकानून को वापस ले लिया। खैर! इस घाटी के लोगो के दिलो में जनसेवा की भावना पैदा होते ही भर जाती है। इसी गांवनुमा शहर बड़कोट में मौजूदा समय में डा॰ कपिल देव रावत की समाज सेवा का लोग लोहा मनवा रहे हैं।
बड़कोट गांव के सूरत सिंह रावत और श्रीमति जमोत्री देवी के घर जन्में कपिलदेव रावत अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े है। आम तौर पर यह माना जाता रहा है कि परिवार में सबसे बडे होने का मतलब है कि परिवार की समस्त जिम्मेदारी को निभाना। कपिल ने इन वर्जनाओं को तोड़ते हुए समाज को अपना परिवार माना।
कपिल के माथे पर बचपन से ही सृजनशीलता एवं रचनात्मक कार्यो की लकीरे देखी जा रही थी। स्कूल हो या घर-परिवार, गांव का आंगन हो या चैक-चैबार कहीं पर कपिल सामूहिक कार्यो में अपने को सहज ही जिम्मेदार मान लेता था। इसी के चलते उन्हे कई बार स्कूलो में कक्षा से लेकर सम्पूर्ण स्कूल में अपने छात्र सहपाठियों का नेतृत्व करने का मौका मिला।
धीरे-धीरे कपिल की उम्र और तजुर्बा बढता गया। तो एक दिन वह चिकित्सीय परीक्षा में उर्तीण हो गये। इन दिनों चिकित्सीय अध्ययन में उन्हे कई बार छात्रों के नेतृत्व करने का मौका मिला। उत्तंराचल आयुर्वेदिक स्नातकोत्तर महाविद्यालय देहरादून व राजकीय ऋषिकुल आयुर्वेदिक स्नातकोत्तर महाविद्यालय हरिद्वार में कपिल छात्र संघ अध्यक्ष रहे।
इस अन्तराल में कपिल कहां चुप रहता, कभी ग्रीन देहरादून के आन्दोलन में सरीक हो रहा है तो कभी निर्बल व असाहय लोगो के प्रार्थना पत्र को जिलाधिकारी कार्यालय पंहुचा रहा है। और कभी विकास के कार्यो की अनियमितता की सूचनाओं को लेकर अखबारो के कार्यालय पंहुच जाता है।
कपिल ने नैनीताल जनपद के पीरूमदार में अपनी सेवाऐं देनी आरम्भ की। परन्तु उन्हें यह कार्य रास नहीं आ रहा था। उन्हे तो बड़कोट और अपने यमुनाघाटी में विकास से पिछड़ते लोगो की समस्या पीरूमदार में रात दिन परेशान करने लग गयी। अन्ततः कपिल ने इस सरकारी सेवा को अलविदा कह दिया।
दूसरी तरफ कपिल ने यूएपीएमटी की परीक्षा भी पास कर ली। वे अपने घर परिवार के सम्मान के चलते बीएएमएस की पढाई करने राजकीय आयुर्वेदिक काॅलेज हरिद्वार पंहुच गया। इस बीच जब भी कपिल को मौका मिलता वे जनसेवा में जुट जाते।
साल 2016 आते-आते कपिल की नजर में एक ऐसी त्रुटी आई जिससे लाखों युवाओं का भविष्य अधर में लटक रहा था। कपिल ने नवम्बर 2016 में मुख्य सचिव उत्तराखण्ड सरकार को एक पत्र प्रेषित करके यह बताया कि साल 2004 में रंवाल्टा, जौनपुरी समुदाय को सरकार ने पिछड़ी जाति घोषित की थी। जिस आरक्षण को वर्ष 2011 में केन्द्रीय अनुसूची में भी सम्मलित किया गया था। मगर इन समुदायों को केन्द्र में इस आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है। बड़ी जद्दोजहद से कपिल के इस पत्र को सज्ञान में लिया गया। और सरकार ने भी इसे कलमी भूल मानते हुए शासनादेश को विधिवत फिर से अपडेट किया। इस बीच कपिल कई बार शासन स्तर पर मुख्य सचिव व अन्य संबधित सचिवों के साथ बैठक कर चुके थे।
समाज सेवा कपिल के रग-रग में भर चुकी है। अब वे कहां कि सरकारी सेवामें अपने को फिट कर पाये। कपिल है कि अपनी दक्षता को वह कैसे छुपाये, जब तक वह लोगो के काम नहीं आये। अब कपिल पूर्ण रूप से समाज सेवामें मशगूल हो गया। बड़कोट क्षेत्र और उसके आस-पास के क्षत्रों में निशुल्क स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करना कपिल की फितरत बनती गयी। हर माह कपिल अपने बड़कोट क्षेत्र में अलग-अलग जगहो पर अपने चिकित्सा अधिकरियों के सहयोग से स्वास्थ्य शिविर आयोजित करता है।
बड़कोट क्षेत्र में स्वास्थ्य, चिकित्सा, पेयजल, सड़क, बिजली व विभिन्न जनमुद्दो को कपिल सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों तक पंहुचाने का काम, पत्रो एवं स्वयं विभागीय कार्यालयों तक जाना और जन समस्या की दमदार पैरवी करना वे अपनी जिम्मेदारी समझते है। यही नहीं कपिल रावत ने क्षेत्र के शिक्षित युवा बेरोजगारो के लिए कर्नल अजय कोठियाल के सहयोग से गंगनाणी में सेना भर्ती कैम्प लगवाया। जिसमें दर्जनों युवाओं को सेना की सेवा में जाने का मौका मिला।
अब तो डा॰ कपिलदेव रावत युवा शक्ति संगठन के बैनर तले गांव-गांव, वार्डो, मुहल्लो व व्यक्तियों के पास जाकर जन समस्याओं की जमकर पैरवी कर रहे हैं। और विकासीय कार्यो को जमीनी स्तर पर पंहुचाने का काम संगठन के मार्फत कर रहे है।
वे लोगो की छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान के लिए सरकार और जन सामान्य में समन्वय स्थापित करने के लिए हर वक्त आतुर रहते है। कपिल ने अब तक लगभग 100 से भी अधिक परिवारों को स्वास्थ्य हेतु मुख्यमंत्री राहत कोष पंहुचाया।
डा॰ कपिल देव रावत के समाज सेवा की गूंज लोगो तक पंहुचने लगी। आज कपिल के बिना बड़कोट क्षेत्र में कोई भी ऐसा सार्वजनिक समारोह नही है जहां कपिल की उपस्थिति ना हो। लोग ने अपने-अपने गांव में कपिल को सम्मानित करने का आयोजिन बनाया। डा॰ कपिल रावत को विभिन्न मंचो पर सम्मानित करते लोग व संगठन।