||स्वच्छ भारत, स्वच्छ विद्यालय||
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- 20 विद्यालयों के 5000 बच्चों तक पंहुच है इस कार्यक्रम की
- 20 स्कूलों के 20 शिक्षक हैं वाॅश चैपियन
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हालांकि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता की कुर्सी सम्भालते ही स्वच्छता को प्रमुख स्थान दिया और इसे एक अभियान का रूप दिया गया। इस्तीहार, नारे, समूह के साथ झाड़ू अभियान, प्रदर्शनीयां तमाम गतिविधियां आरम्भ हुई। अब इस अभियान को मूर्तरूप देने के लिए उत्तराखण्ड की अस्थाई राजधानी देहरादून के शहरी क्षेत्र की 20 स्कूलो ने बकायदा ''स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय'' की कल्पना को साकार करने की ठान ली है। इन विद्यालयों के साथ इस परिकल्पना को जमीनी रूप देगी श्री भुवनेस्वरी महिला आश्रम जैसी स्वयं सेवी संस्था। इनका मानना है कि स्वच्छता के नारो को अब जमीन पर उतारने का समय आ चुका है।
ज्ञात हो कि मौजूदा समय में सरकारी स्कूलो की हालात यह हो चुकी है कि कहीं पेयजल की व्यवस्था है तो वहां शौचालय का अभाव है, कहीं शौचालय है तो वहां पानी की किल्लत है, कहीं शौचालय व पेयजल लाईन की ढांचागत सुविधा है तो वहां पानी की बूंद तक नहीं है। इस तरह अस्त-व्यस्थ पड़े विद्यालयों को श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम व प्लान इण्डिया मिलकर दशा सुधारने का काम कर रही है। अब देखना यह होगा कि इन विद्यालयों में स्वच्छता के लिए बने ढांचे को कैसे इस्तेमाल किया जाता है जो समय की गर्त में है। चयनित 20 विद्यालयों के शिक्षको ने बकायदा इस मुहिम के लिए कमर भी कस दी है। इन विद्यालों के शिक्षक समूह को ''वाॅश चैम्पियन टिचर्स'' नाम भी दिया गया है। शिक्षको का यह समूह मासिक बैठक करता है, आगामी कार्ययोजना पर रणनीति बनता है बगैरह। और कार्ययोजना को अभिभावको, बच्चों और संस्था के साथ मिलकर क्रियान्वित करता है।
ब्ता दें कि शहरी विकास विभाग भी इन शिक्षको के इस समूह के सम्पर्क में है। देहरादून नगर निगम को भी अपने इस स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय मिशन के साथ जोड़ दिया गया है। ताकि ये 20 विद्यालय स्वच्छता के लिए प्रदेश में एक माॅडल बनकर उभरे। यहां शिक्षको का मानना है कि इस कार्य में उन्हे नैतिक सहयोग की नितान्त आवश्यकता थी सो उन्हें श्री भुवनेस्वरी महिला आश्रम व प्लान इण्डिया की तरफ से मिल रही है।
वे कहते हैं कि जिस तरह से उनके विद्यालय पठन - पाठन में अब्बल रहते हैं उसी तरह आने वाले समय में उनके ये 20 विद्यालय स्वच्छता के लिए भी जाने जायेंगे। इस कार्ययोजना से जुड़ी कार्यकर्ता स्वागता कैंथोला का कहना है कि वे इन 20 विद्यालयों के शिक्षको और इन्ही विद्यालयों के बच्चो के अभिभावको के साथ मिलकर वे स्वच्छ भारत स्वच्छ स्वच्छ विद्यालय की कल्पना को साकार करने जा रहे है। कहा कि उन्होंने शिक्षको का अलग समूह गठित किया है और अभिभावको का अलग समूह गठित किया है। दोनो समूह को एक साथ बैठाकर स्वच्छता की समस्या का समाधान निकाला जाता है। इस दौरान बच्चों के पठन- पाठन की समस्या भी हल हो जाती है। अब तो इन विद्यालयों से जुड़े अभिभावको ने इस कार्य के लिए खुद ही कमर कस ली है।
संयुक्त राज्य अमरीका, कोका कोला और योजना भारत के संयुक्त सहयोग से देहरादून के 20 शहरी प्राथमिक स्तर के विद्यालयों में ''स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय'' जैसे कार्यक्रम श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम व प्लान इण्डिया के संयुक्त तत्वाधान में क्रियान्वित किया जा रहा है। जिसमे अधिकांश विद्यालय बॉडीगार्ड सहित स्लम क्षेत्र के विद्यालयो का चयन किया गया है। इस कार्ययोजना से जुड़े प्रकाश नेगी ने बताया कि वे बच्चों से लेकर शिक्षको व अभिभावको के साथ मिलकर क्षमता विकास प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रम चलाते है। यही वजह है कि इन विद्यालयों से जुड़े लोग विद्यालय से लेकर खुद के घर तक स्वच्छता की शपथ ले रहे हैं। कह सकते हैं कि चैंपियन शिक्षक इन स्कूलों के पहचाने जाने वाले शिक्षक जो बन गये हैं। जो अब स्वतः ही सभी सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा 20 चयनित विद्यालयों के आस-पास के विद्यालय भी स्वस्फूर्त इस मुहिम से जुड़ रहे हैं और वाश चैंपियन शिक्षकों के समूह का हिस्सा बन रहे है। वाश चैम्पियन शिक्षकों का कहना है कि इस कार्यक्रम से उनके विद्यालयों में स्वच्छता की नई इबारत लिखी जा रही है। कहा कि इस कार्यक्रम के कारण बच्चे और उनके अभिभावक जितने स्वच्छता के प्रति संवेदनशील हुए हैं उससे अधि कवे अब शिक्षा के प्रति भी जागरूक हो गए हैं।
फलस्वरूप इसके बच्चों की उपस्थिति में सुधार, विद्यालयों में बाल स्वच्छता समिति का गठन और स्वच्छता के जनादेशों की निगरानी और कार्यान्वयन में गति तेज होनी ही इस कार्यक्रम की सफलता कही जा सकती है। इसके अलावा पिछले तीन वर्षो के अन्तराल में बच्चों में आत्मविश्वास का भी संचार दिखाई दे रहा है। जबकि अभिभावक और बच्चों में स्वच्छता की चुनौतियो का सामना करने की भरपूर क्षमता दिखाई दे रही है। इस कार्यक्रम की खास बात यह है कि देहरादून शहर के चयनित 20 विद्यालयो में सर्वप्रथम पानी की सुविधा को व्यवस्थित व नियमित किया गया। स्वच्छता के लिए नगर निगम को विश्वास में लिया गया जो कि अब हर समय इन विद्यालयों के स्वच्छता के कार्यक्रमो की जिम्मेदारी स्वस्फूर्त निभाता है। इन विद्यालयों के प्रति जल संस्थान, स्वजल, नगर निगम और शहरी विकास विभाग की संवेदनशीलता भी बढी है।
कुलमिलाकर जब से इन विद्यलयों में पानी की समस्या का समाधान हुआ तब से विद्यालयों में स्वच्छता भी दिखाई देने लग गई, बच्चो के अभिभावको की रूची भी विद्यालय के प्रति सकारातमक हुई है। विद्यालय में शौचालय से लेकर पेयजल का सथान, बर्तन धुलने का स्थान व अन्य वाश के स्थान और सामग्रीयां व्यवस्थित हुई है। विद्यालय परिसर इस कार्यक्रम के कारण अब ईको फ्रेंडली की ओर विकसित हो रहा है। यानि की विद्यालयों के प्राकृतिक पर्यावरण की सुन्दरता लौट रही है। अर्थात इस मुहिम में शिक्षक, शहरी विकास विभाग, नगर निगम सक्रिय भूमिका में दिख रहे हैं।
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इस कार्यक्रम से जुड़े लोगो को का मानना है कि वे आगामी कार्यक्रम के लिए एक वाश ट्रक शुरू करने की तैयारी कर रहे है। इस हेतु शहरी विकास विभाग के सचिव शैलेश बगोली, निदेशक श्री मनराल ने सैद्धान्तिक स्वीकृति दे दी है। यह वाश ट्रक शहर के 50 विद्यालयों में रोज स्वच्छता के कार्यक्रम से जुड़ेगा। जो कूड़, करकट व अन्य बेकार की चीजों को अन्यत्र उठाकार ले जायेगा। इस वाश ट्रक के साथ-साथ पानी की टंकी, फस्टएड किट आदि भी सम्मलित रहेगा। इसका सफल परिक्षण तेलगांना में हुआ है जिसे अब देहरादून में भी किया जायेगा।
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