||27 लेखपालो, 13 पुलिस थानाध्यक्षो पर जुर्माना||
उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार आयेग ने 40 लोक सेवा कार्मिको को काम न करने पर और मामलो को लम्बित रखने पर 500-500 रूपय का जुर्माना किया है। साथ ही जुर्माना का भुगतान न करने और लम्बित मामलो को फिर से लम्बित रखने पर उक्त कार्मिक को 250 रूपय प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना भुगतना पड़ेगा। जबतक अमुक नागरिक की कागजातो की सेवा को बहाल न की जाय। यह जुर्माना हरिद्वार जिले के 27 लेखपालो और 13 पुलिस थानाध्यक्षो पर किया गया है।
बता दें कि यह घटनाये हरिद्वार जिले के भगवानपुर क्षेत्र की सर्वाधिक है। भगवानपुर तहसील के अन्र्तगत जाति प्रमाण पत्र और आय प्रमाण पत्र बनवाने बावत लोगो को लेखपालो की जी-हजूरी का सामना करना पड़ता है। यही नहीं यदि कोई महिला जाति प्रमाण पत्र बनवाने जाती है तो अमुक का जातिप्रमाण पत्र इस बात के लिए रोक दिया जाता है कि उसके ससुराल पक्ष से इस बात के लिए मना ही हो चुकी है। भगवानपुर क्षेत्र में अधिकांश विवाहित महिलाऐं पहाड़ से है जो अनुसूचित जाति समुदाय से आती है। वे शिक्षित है, और अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए उनके समय है। मगर ऐसी महिलाओं के जाति प्रमाणपत्र और आय प्रमाण पत्र भगवानपुर तहसील के अन्र्तगत नही बनाये जाते है। इन महिलाओं के पति बेराजगार है, शराबी है और कामचोर है यही नही इन लड़कियों को यहां शादी के नाम पर बहला-फुसलाकर लाया गया है। फिर भी वह अपनी शैक्षिक योग्यता के नाम पर खुद को रोजगार से जोड़ना चाहती है मगर इस तरह के मामलो पर भगवानपुर के तहसील कर्मचारी मानवाधिकारो को दरकिनार करके इन महिलाओं का शोषण कर रहे है। इस तरह के मामले अकेले भगवानपुर में 200 से अधिक है जो सिर्फ व सिर्फ आय और जाति प्रमाण पत्र के है।
इधर जनपद हरिद्वार के अंतर्गत राजस्व विभाग की 06 सेवाओं के मामलों में कोताही बरतने वाले कर्मियो पर जुर्माना कर दिया गया है। उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग ने ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर हरिद्वार जनपद के वर्ष 2018--19 के राजस्व विभाग की 06 सेवाओं में स्थायी निवास-158, आय प्रमाण-पत्र-3351, जाति प्रमाण-पत्र-84, चरित्र प्रमाण-पत्र (सामान्य)-79, चरित्र प्रमाण-पत्र (ठेकेदारी)-106 एवं हैसियत प्रमाण-पत्र-31 के कुल 3809 मामले लम्बित पाये है। जिनमे सिर्फ व सिर्फ 3351 मामले आय प्रमाण-पत्र से संबंधित थे। चूंकि आय प्रमाण-पत्र जारी करने हेतु मार्गदर्शक निर्देशों के अभाव के रहते आयोग ने राज्य सरकार को संस्तुत किया था कि तत्संबंधी शासनादेश जारी किया जाय, अतः उन मामलों को छोड़कर शेष 458 मामलों का स्वतः संज्ञान लेकर दोषी कार्मिकों के विरूद्ध उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार अधिनियम की धारा-9 के अंतर्गत कार्रवाई करने के लिए द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी अथवा जिलाधिकारी, हरिद्वार को संदर्भित किया है।
जिला प्रशासन हरिद्वार ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि जिलाधिकारी हरिद्वार द्वारा उक्त 458 लंबित आवेदनों में सुनवाई उपरांत विलंब के लिये जिम्मेदार 40 कार्मिकों को अपने स्तर से अधिनियम के प्राविधानों के विपरीत शिथिलता प्रदान करते हुए प्रत्येक दोषी कार्मिकों जिनमें 27 लेखपालों एवं 13 थानाध्यक्षों पर रू॰ 500 का जुर्माना किया गया है। मामलों को निस्तारित करते हुए द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी/जिलाधिकारी, हरिद्वार डी.एस. गब्र्याल मुख्य आयुक्त (प्रभारी) ने आदेशित किया है कि वे भविष्य में उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार अधिनियम, 2011 की धारा-9 में निहित व्यवस्थानुसार प्रत्येक आवेदन पर विलंब के लिये एकमुश्त जुर्माना राशी के साथ 250रू॰ प्रतिदिन की दर से सरकारी कोष में जमा करना होगा। साथ ही हिदायत दी गई कि पुनः ऐसे मामलो में दोषी पाये गये कार्मिको पर कठोर कानूनी कार्रवाई होगी।